Stories In Hindi Tum Khao- तुम खाओ हिन्दी में कहानियाँ |
तुम खाओ
एक राजा था। उसे ईश्वर पर विश्वास नहीं था। जो लोग ईश्वर स्तुति करते, ईश्वर पर विश्वास रखते, वह उन्हें अंधविश्वास कहता। राजा ने मंदिरों के प्रबंध के लिए राजकोष से जाने वाले धन को बंद कर दिया। मंदिरों में कुव्यवस्था फैल गई। साफ-सफाई और मरम्मत के अभाव में धीरे-धीरे मंदिर टूटते-फूटते लगे।
राजा के दो पुत्र थे। छोटा राजकुमार अपने पिता के विपरीत आस्तिक था। वह नियमित रूप से सुबह-शाम ईश्वर की प्रार्थना करता। राजा ने उसे बहुत समझाया, पर उसने ईश-वंदना नहीं छोड़ी।
एक दिन राजा सपरिवार भोजन के लिए बैठा। भोजन से पूर्व छोटे राजकुमार ने भोजन के लिए ईश्वर का उपकार माना और आँखें बन्द कर ईश्वर को धन्यवाद दिया।
चिड़िया का आवाज
उसे भोजन के लिए ईश्वर का धन्यवाद करते देख, राजा ने कहा-‘‘इस भोजन के लिए तुम्हें मेरा आभारी होना चाहिए, ईश्वर का नहीं। मैं चाहूँ तो तुम्हें भोजन मिलना बंद हो जाए। मेरे एक आदेश पर तुम भूखे मर सकते हो।’’
‘‘मैं जानता हूँ कि आपके आदेश पर मेरा भोजन बंद हो सकता है। यदि मुझे ईश्वर भोजन देना चाहेगा, तब वह किसी न किसी तरीके से उसे मेरे पास पहुंचा देगा और मुझे भूखा नहीं रहने देगा। ईश्वरीय आदेश से दुनिया के सारे काम होते है।’’-राजकुमार ने ईश्वर का गुणगान करते हुए उत्तर दिया।
इस उत्तर से राजा क्रोधित हो उठा। कहा-‘‘ठीक है, देखता हूँ तुम्हें कल भोजन कौन देता है?’’
दूसरे दिन राजा छोटे राजकुमार को लेकर वन में चला गया। उसके साथ सेनापति और कई सैनिक अधिकारी भी थे।
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जंगल में पहुँचकर राजा के आदेश से राजकुमार को एक पेड़ के ऊपर बिठाकर रस्सी से बांध दिया गया। राजा ने कहा-‘‘अब देखता हूँ, आज तेरा ईश्वर तुझे भोजन कैसे देता है?’’ कहते हुए राजा, सेनापति और दूसरे सैन्य अधिकारी उस पेड़ से दूर एक झाड़ी में छिपकर बैठ गए।
दोपहर में एक राजगीर उधर से गुजरा। जिस पेड़ पर राजकुमार बंधा था, वह उसी पेड़ के नीचे बैठकर आराम करने लगा। थोड़ी देर बाद उसने एक पोटली निकाली और भोजन करने लगा।
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अभी वह भोजन कर ही रहा था कि लुटेरों का एक दल उधर आ निकला। लुटेरों की आवाज सुनकर वह राहगीर भोजन छोड़कर भाग गया।
वन में पेड़ के नीचे भोजन देखकर लुटेरे रूक गए। उन्हें आश्चर्य हुआ कि इस घने जंगल में भोजन कौन छोड़ गया? उन्होंने इधर-उधर देखा, वहाँ कौन न था। अचानक एक लुटेरे की निगाह राजकुमार पर पड़ी।
लुटेरों ने आपस में कहा-‘‘हो न हो, इसने जरूर इस भोजन में जहर मिलाकर यहाँ रख दिया है, ताकि हम लोग इस खाएँ और मर जाएँ।’’
भोजन में जहर की बात सोच, लुटेरे आग बबूला हो उठे। उन्होंने राजकुमार की नीचे उतारा। कहा-‘‘तुम हम लोगों को यह जहरीला भोजन खिलाना चाहते थे। अब तुम ही इसे खाओगे और हम लोगों की जगह तुम मरोगे।’’ यह कहते हुए लुटेरों ने उसे जबरन भोजन कराया और चले गये।
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राजा और दूसरे अधिकारी झाड़ी में छिपकर यह सब देख रहे थे। राजा की समझ में आ गया कि राज कुमार को भोजन ईश्वर की इच्छा से प्राप्त हुआ है। उसने राजकुमार को प्रेम से गले लगाया और उसे राजमहल ले आया।
उसी दिन से राजा को ईश्वर की महिमा और शक्ति पर विश्वास हो गया। राजा के आदेश से सारे मन्दिरों का जीर्णोद्वार हुआ। राजमहल के प्रांगण में भी एक भव्य मन्दिर का निर्माण हुआ। राजा परिवार सहित नियमित रूप से पूजा अर्चना के लिए जाने लगा।
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