Paropakaaree Bhaee Story In Hindi| परोपकारी भाई कहानी हिंदी में |
परोपकारी भाई
एक गरीब किसान के दो पुत्र थे। दोनों में परोपकार की भावना कूट-कूटकर भरी हुई थी। अपने आवश्यक कार्यों को छोड़कर भी दोनो लाचार व्यक्तियों की सेवा में लगे रहते थे, जिसके कारण किसान पिता उन्हें रोज डाटते-फटकारते रहते थे। अपने बच्चों को काम के प्रति लापरवाही बरतते देख उसके पिता ने उन्हें घर छोड़ने की आज्ञा दे दी।
दोनों भाई घर छोड़कर बाहर निकल पड़े। चलते-चलते शाम हो गई। दोनों भाइयो ने एक वृक्ष के नीचे ही रात काटने की सोची। सूखे पत्तों और घास को इकट्ठा करके दोनों ने बिछावन बनाया और उसी पर सो गये।
Kahani in Hindi
नींद अभी आ ही रही थी कि सफेद कबूतर जो कि किसी बहेलिये के तीर से घायल हो चुका था। फड़फड़ाते हुए बिछावन पर आ गिरा। दोनों की नींद एकाएक खुल गई। कबूतर की स्थिति दयनीय थी। दोनों भाइयों ने सारी रात जागकर उसकी सेवा की। सारी रात गोद में रखकर अपनी मानवता का परिचय दिया उन दोनों भाइयों ने।
परोपकार का पौधा
सुबह दोनों पहाड़ी पार करने की योजना बना रहे थे ताकि पहाड़ के उस पार जाकर लोगों की बस्ती में धन उपार्जन कर सकें और अपने गरीब पिता की सहायता करें। बडे़ भाई रमेश ने छोटे भाई महेश से कहा तुम कुछ आम के फलों को तोड़कर ले जाओं जिससे भूख मिटाई जाये।
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महेश ने लक्ष्मण की तरह अपने भाई की आज्ञा मान ली। और अतिशीघ्र आमों को तोड़कर ले आया। दोनों ने आम खाएं और पहाड़ी पार करने के उद्देश्य से दोनों चल पड़े।
कबूतर को गोद में लिए रमेश आगे था। महेश पीछे पीछे चल रहा था, उसी समय कबूतर बोला तुम लोग अगर मुझे घर छोड़ देते तो मैं दोनों का यह अहसान कभी नहीं भूलता।
दोनों भाइयों ने जब उसके घर के विषय में पूछा तो कबूतर ने बताया-‘‘पहाड़ी के बीच पक्षियों का एक विशाल साम्राज्य है जहाँ के राजा मेरे पूज्य पिता हैं। वे मुझे न पाकर काफी शोकाकुल होंगे। कबूतर की दया भरी याचना सुनकर दोनों भाइयों ने उसे घर पहुंचाने की योजना बनाई।
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पहाड़ी के बीच पक्षियों का विशाल साम्राज्य दिखाई देने लगा। पक्षीराज के सीमा में प्रवेश करते करते शाम हो गई। पक्षियों का यह देश अपने राजकुमार के न आने के गम में दुखी था। ताल तलैया में जमें शैवाल की घास यहीं बता रही थी कि हंसों का विचरना कई दिनों से बंद है।
उल्लू ने घायल कबूतर को देखा, फिर क्या था? उड़कर राजभवन पहुंचा और पक्षीराज को इस बात की सूचना दे दी। पक्षीराज अपने राजकुमार को जीवित पाकर खुशी से झूमने लगे। संदेश वाहक कौओं को शीघ्र इसकी सूचना सम्पूर्ण पक्षी साम्राज्य में देने की आज्ञा मिली।
मनुष्य अपना स्वामी स्वयं
कोयल ने अपने मीठे स्वर में स्वागत गीत प्रस्तुत किया। मोेर राजभवन में नाचने लगा। पक्षीराज को राज कुमार कबूतर ने सारी घटना सुनाई। ईमान स्वरूप दोनों भाइयों को सोने और चांदी का सिक्का दिया गया दोनों भाई घर आ गए तथा अपने गरीब पिता को परोपकार से पाया हुआ ध न प्रदान किया।
किसान पिता अपने दोनंों बेटों से बेहद खुश हो गया तथा उसे भी परोपकार का महत्व समझ आया।
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