शुक्रवार, 18 जून 2021

Evil and younger brother moral stories in hindi- दुष्टरानी और छोटा भाई Hind Kahani

Evil and younger brother moral stories in hindi- दुष्टरानी और छोटा भाई
Evil and younger brother moral stories in hindi- दुष्टरानी और छोटा भाई

 दुष्टरानी और छोटा भाई

एक बूढ़ा आदमी जब मरने लगा, तब उसने अपने तीनों पुत्रों को बुलाया और बोला-‘‘ बेटा! अब मेरी मौत आ गई है। तुम्हें अब घर का भार सँभालना होगा। मेरे पास और तो कुछ नहीं है, पर इस खटिया के नीचे एक पेटी है। उसमें कुछ रखा है। उसे तुम पढ़ लेना। उसको सँभालकर व्यवहार करना, तो कभी दुःख नहीं होंगे।’’

तीनोें भाइयों ने खाट हटाई। पेटी खोलकर देखी तो उसमें फटी पुरानी टोपी थी, सड़ी हुई चमड़े की थैली थी और एक बैल का सींग था। यह देख तीनों हँसने लगे।

बूढ़ा पिता बोला-‘‘बच्चों, इसमें हँसने लायक कुछ नहीं है। यही सच्चा धन है। यह चमड़े की थैली सड़ी जरूर है, पर जब इसमें हाथ डालोगे तो उसमें सोने की मोहरें निकलेगी पर इसे कभी उल्टी मर करना। यह टोपी ऐसा है कि अगर इसे पहन लिया तो अदृश्य हो जाओगे और यह सींग मंे ऐसा गुण है कि इसे बजाते ही इसमें से एक राक्षस निकलेगा जो तुम्हारा हुक्म मानेगा।’’

बूढे ने तीनोें भाइयों को एक-एक चीज दी। बड़े को सींग, मझले को टोपी और सबसे छोटे को चमड़े की थैली। इसके देते ही बूढ़ा मर गया। बूढ़े का क्रियाकर्म किया गया। फिर एक दिन छोटा बेटा मुसाफिरी करने निकला। चलते-चलते राजनगर में आया। दोपहर हो रही थी। उसे अच्छी भूख लगी। रानी के महल के पास ही एक फेरी वाला दाल मसाला बेच रहा था।

छोटा भाई ने चमड़े की थैली में हाथ डालकर सोने की मोहरें निकाली तथा मुट्ठी भर सोना देकर एक पाव दाल-मसाला ले लिया। रेवड़ी वाले को आश्चर्य हुआ। लड़का भिखारी हालत में दिख रहा है और यह सोने की मोहरे। ऊपर झरोखे में बैठी रानी यह सब देख रही थी। उसे भी कौतुहल हुआ। सैनिकों को भेजकर उसने उस लड़के को ऊपर बुलाया।

रानी कड़ककर बोली-‘‘ऐ लड़के। तेरे पास इतनी सारी सोने की मोहरे कहाँ से आई? तू तो भिखारी दिख रहा है।’’

छोटे भाई ने कहा-‘‘मेरे पास यह चमड़े का थैला मरते समय मेेरे पिता जी ने मुझे दिया था। इसमें हाथ डालता हूँ तो मुट्ठीभर सोने की मोहरे निकलती हैं। जब-जब हाथ डालूँ तब-तब ऐसा ही होता है।’’

दुष्टरानी बोली-‘‘ रख पागल मत बन। क्या ऐसा भी हो सकता है? ऐसी बातें तो कहानियों में होती हैं। कहीं सचमुच ऐसा कभी होता भी हैं?’’

रानी के मन में खोट जागा। वह सोचने लगी कि-‘‘काश! यह थैली मेरे पास होती।’’ छोटा भाई भोला था। वह बोला-‘‘लो अभी तुम खुद देखो हाथ डालकर सोने की मोहरे मिलती हैं कि नहीं?’’

रानी ने थैला हाथ में लिया। उसी समय सैनिकोें को बुलाकर लड़के को धक्के मारकर महल से निकाल दिया। छोटा भाई रोते-रोते अपने भाइयों को पास गया। छोटे भाई से टोपी लेकर वह महल में गया। रानी भोजन कर रही थी। छोटे भाई को कोई देख नहीं सकता था क्योंकि उसने टोपी पहन रखी थीं। वह रानी की थाली उठाकर खाने लगा।

दुष्टरानी बोली-‘‘अरे! मेरा खाना कौन उठा रहा हैं? कोई हाथ तो दिख नहीं रहा। यहाँ तो कोई बैठा भी नहीं है और न ही कोई आया है।’’

छोटे भाई ने एक थाली पूरी उठाई। रानी ने दूसरी थाली मँगाई, उसे भी उसने उठा लिया। रानी तो अब गुस्से में लाल हो गई।

इतने में छोटा भाई बोला-‘‘क्यों? मेरी थैली वापस करोगी कि नहीं?’’

रानी बोली-‘‘पर थैली किसने दी? कोई दिख भी तो नहीं रहा।’’

छोटा भाई तो भोला था ही। उसने तुरन्त टोपी उतार दी और रानी के सामने खड़ा हो गया।

रानी के मन में फिर लोभ जागा। वह बोली-‘‘ऐ! इसमें नयापन क्या है? तेेरे पास क्या है जो एकदम दिखाई ही नहीं दिया?’’

छोटा भाई बोला-‘‘यह मेरे पास टोपी है। यह पहनने से मुझे कोई नहीं देख सकता।’’

दुख्टरानी बोली-‘‘अब रहने भी दे। ऐसा कभी होता भी है। तू तो गप्प मार रहा है।  ऐसा तो पुराने जमाने में हुआ करता था।’’

छोटा भाई बोला-‘‘ऐ, ले यह टोपी पहनकर देख तुझे खुद पता चल जागा।’’

छोटा भाई ने टोपी रानी के हाथ में दे दी। रानी ने टोपी पहनी और अदृश्य होकर सैनिकों को हुक्म दिया-‘‘ मारो इस लुच्चे छोकरे को। इसे मारकर महल से बाहर फेंक दो।’’

छोटा भाई क्या कर सकता था। वह फिर अपने भाइयों के पास गया। सींग लिया और उसे जोर से बजाया। उसी समय उसमें से राक्षस निकला। बहुत बड़ा राक्षस वह बोला-‘‘बोले मेरे मालिक! मेरे लिए क्या हुक्म है?’’ छोटा भाई बोला-‘‘एक बड़ी सैनिकों की फौज लाओ। इस राजा के महल के आसपास फैला दो।’’ बड़ी-बड़ी तोपे राजा के महल के पास जमा हो गई। कुछ क्षण में फौज जमा हो गई। हाथी, घोड़े, ऊँटों की अनगिनत संख्या। तोपे गड़गड़ाने लगी। बंदूकें छूटने लगीं। तलवार चमकने लगीं। रानी समझ गई कि यह सब काम पहले वाले लड़के का है। उसने तुरन्त लड़के को बुलाया। छोटा भाई तो सेनापति बन घूम रहा था।

दुष्टरानी बोली-‘‘अरे यह फौज वापस ले जा।’’

छोट भाई बोला-‘‘टोपी और थैली दे दो, तब फिर दूसरी बात करो।’’

रानी तो दुष्ट थी ही। वह बोली-‘‘हूँ यह बात है। पर तुम पहले यह तो बताओ कि इतनी बड़ी फौज लाए कहाँ से? तुम तो कोई जादूगर लगते हो। क्यों?’’

छोटा भाई बोला-‘‘हाँ, हूँ तो मैं वैसा ही इस सींग मेें यह खूबी है। इसे बजाऊँ तो इसमें एक राक्षस निकलता है जो यह सब कर देता है।’’

दुष्टरानी ने फिर कहा-‘‘जा-जा कहीं ऐसा भी हो सकता है? मुझे ही बुद्धू बनाने चला है।’’

छोटा भाई बोला-‘‘बुद्धू क्या बनाना? आजमाकर देख लो।’’ लो यह सींग? छोटे भाई ने भोलेपन से सींग भी रानी को दे दिया। रानी ने दूर बैठकर सींग बजाया तो राक्षस हाजिर हुआ और बोला-‘‘बोलो, क्या हुक्म है?’’

रानी बोली-‘‘दो बहादुर आदमी को बुलाकर इस लड़के को बाहर फंेको और इस फौज का खात्मा कर दो।’’

जैसे ही हुक्म हुआ झट वैसे ही काम हुआ। अब छोटा भाई अपने भाइयों के पास जाकर क्या मुँह दिखाए? वह जंगल में भाग गया। रात हुई तो भूख लगी। वह खाना कहाँ से लाता। चलता-चलता अंजीर का एक पेड़ मिला। उसमें अच्छे खासे अंजीर लगे थे। भूख लगी थी इसीलिए उसने अंजीर खाना शुरू कर दिया। थोड़ी अंजीर खाने के बाद नाक में झटपटाहट होने लगी, अरे! यह क्या? छींक आ रही हैं? नहीं-नहीं यह तो नाक बढ़ रही है। अरे! तो लम्बा होता चला है।

एक उंगली! दो उंगली! एक हाथ! दो हाथ नाक लम्बा होता ही चला गया। छोटा भाई हँसने भी लगा। यह क्या हो गया? नाक को खिंचता हूँ तो दर्द होता है।

छोटा भाई चलने लगा। वह नाक जहाँ तहाँ टकराने लगती। पेड़ से टकराती। बेला से गुंथती। छोटा भाई निराश होने लगा और वहीं बैठ गया। वही बेर का भी झाड़ था। उसमें हाथ लम्बे कर दो मीठे-मीेठे बेर खाएँ।

अरे, यह तो चमत्कार जैसा लग रहा है। नाक का भार हल्का लग रहा है। यह सोच उसने दो चार बेर और खाए। नाक छोटा होता चला गया। आखिर में नाक जैसी थी वैसी ही हो गई। छोटा भाई बोला-‘‘अब जान में जान आई।’’

पर उसी समय उसके मन में कुछ विचार सूझा। वह फिर बोला-‘‘यह युक्ति बराबर है।’’

वह फिर अंजीर के पास आया। बहुत सारे अंजीर लिए। उसने काठ बेचने वाले जैसा भेष बनाया।

अंजीर लो अंजीर किसी को अंजीर लेना हैं, ऐसा बोलता- बोलता वह बाजार-बाजार और गली-गली अंजीर बेचने लगा। वह दुष्टरानी के महल के पास आया। रानी को अंजीर खाने का मन हुआ। उसने अंजीर बेचने वाले को ऊपर बुलाया और उससे सब अंजीर खरीद लिए। अंजीर वाला तो चलता बना। रानी और दासी अंजीर खाने बैठी। बहुत मीठे। उसी समय नाक में खुजली होने लगी। अरे! मेरी नाक में कुछ हो रहा है। जरा देख तो।

नुकीला क्या हो गया है। जरा जुकाम सा लग रहा है।

नहीं रे! देखती नहीं। देख तो नाक कुछ लम्बा हुई जा रही है।

अरे! यह तो मेरी भी नाक लम्बी हुई जा रही है।

रानी बोली-‘‘अरी! देखी तो मेरा भी नाक लम्बी हुई जा रही है।’’

सब विचार में पढ़ गए। नाक तो बढ़ने लगी। जिसने एक अंजीर खाया, उसकी नाक एक हाथ लम्बी हुई। जिसने दो अंजीर खाया, उसका दो हाथ और जिसने तीन खाए उसके तीन हाथ लम्बी नाक होने लगी और तो और रानी ने तो बारह अंजीर खाए थे इसीलिए उसकी बारह हाथ लम्बी नाक हुई। अब क्या किया जाए? नाक में पीड़ा हो रही थी। बड़ी-बड़ी लम्बी-लम्बी नाक लेकर कहाँ जाया जाए? बड़ी नाक साथ में रहेगी। इस तरह चले तो नाक इस तरफ टकराता है, उस तरफ चले तो उस तरफ टकराता है। सामने से जो आता होगा, उसे भैंसा लगता होगा?

राजा रानी तो निराश हुए। राजा ने ढिंढोरा पिटवाया, कोई नाक का वैद्य या हकीम हो तो वह राजा के दरबार में आए और जो रानी की नाक ठीक, कर देगा उसे आधा राज्य और राजकुमारी के साथ उसका विवाह किया जाएगा।

बहुत से वैद्य हकीम आए, पर किसी का इलाज काम न आया। नाक न तो तोड़ते बना और न ही काटते। यह देख देखकर राजा थक गया। रानी भी बहुत दुःखी थी। छोटे भाई ने विचार किया, अब चलना चाहिए।

बेर की टोकरी भरी, ऊपर रूमाल ढका। यूनानी हकीम का भेष बनाया। महल के दरवाजे के पास आकर उसने अपने आने की सूचना दी। वह अंदर आया। रानी उसे किस तहर पहचानती भला। छोटे भाई ने राजा से पूछा-‘‘शर्त मंजूर है?’’ राजा ने कहा-हाँ मंजूर है?’’

दासियों को बेर खिलाया गया। नाक छोटी होने लगी। नाक पहले जैसी हो गई। दूसरे का नाक अच्छा हुआ, तीसरे का नाक भी अच्छा हुआ, अंत में सभी दासियों के नाक अच्छे हो गए। फिर रानी की बारी आई। रानी की नाक तो बारह हाथ की थी। हकीम बोला-‘‘तुम तो रानी कहलाती हो। तुम्हें खास दवा देनी होगी। इतने बड़े नाक के लिए तो खास दवा देनी चाहिए ना और यह तो एकान्त मंे ही हो सकता है।’’

रानी क्या करती भला? एक बड़े से हाॅल में हकीम के साथ आई। हकीम ने नकली दाढ़ी और मूँछ को निकालकर तथा सर से टोपी फेंक दी। फिर बोली-‘‘कैसे? पहले टोपी, थैली और सींग मुझे दे दो वरना यह बारह हाथ की नाक लिए घूमो। बोलो तुम्हें मंजूर है?’’ रानी ने माफी माँगी। सब वापस कर दिया फिर उसने बेर खाए। उसी समय नाक छोटी होने लगी। एक हाथ घटी, दो हाथ घटी  इस तरह घटते-घटते नाक पहले जैसी हो गयी। रानी ने मानो राहत की सांस ली। फिर राजा ने छोटे भाई को आधा राजपाट दे दिया और शर्त के मुताबिक राजकुमारी के साथ उसकी शादी की।

कहानी से शिक्षा

  • दूसरों के प्रति हमें बुरा व्यवहार नहीं करना चाहिए।
  • हर एक काम ईमानदारी से करना चाहिए।
  • हमेशा बुद्धि का उपयोग करना चाहिए।
  • अपने से बड़े शत्रु को हमेशा अक्ल से मारना चाहिए।

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