Moral Stories in hindi
Three things Moral Stories in Hindi- तीन बातें |
तीन बातें
बुढ़िया ने डिब्बा खोला तो उसमें तीन पुड़ियाँ निकलीं। उसने पहली पुड़ियाँ खोली। उसमें से एक कागज निकला। उस पर लिखा था दूसरों का भला करना चाहिए।
यह पढ़कर बुढ़िया ने मन में कहा-‘‘मैं सबका भला सोचूँगी। मैं सबके बिगड़े काम सवारूँगी।’’
अब बुढ़िया ने दूसरी पुड़िया खोली। उसमें से एक सरकारी कागज निकला। उस पर लिखा था किसान का खेत उसकी बुढ़िया को मिले। वह उसमे खेती करे।
बुढ़िया ने अपने आपसे कहा-‘‘मैं खेती करूँगी। मैं खेत में फसल उगाऊँगी।।’’
अब बुढ़िया ने तीसरी पुड़िया खोली। उसमें से तीन सौ रूपये निकले। एक कागज पर लिखा था इन रूपयों को अच्छे काम में खर्च करना।
बुढ़िया ने अपने आपसे कहा-‘‘मैं इन रूपयों को अच्छे काम में लगाऊँगी।’’
उधर घर में तीन महीने के लिए गेहूँ, चने पड़े थे। बुढ़िया गेहूँ और चने खाती और खुश रहती। वह खेती करना चाहती थी, पर खेत को खोदता कौन? एक दिन गली में बड़ा शोर मचा। बुढ़िया ने उठकर देखा। एक सुअर अपनी जान बचाने के लिए भाग रहा था। बहुत से लोग उसे पकड़ने के लिए पीछे लगे हुए थे।
बुढ़िया ने लोगों से पूछा-‘‘तुम सुअर को पकड़कर क्या करोगे?’’
लोग बोले-‘‘हम बेचेंगे।’’
बुढ़िया ने सोचा-‘‘किसी की जान बचाने से अच्छा काम और क्या होगा।’’ यह सोचकर उसने उन्हें एक सौ रूपये देकर सुअर को खरीद लिया। फिर उसने उसे अपने खेत में छोड़ दिया। सुअर ने घास की जड़ खाने के लिए सारा खेत खोद दिया।
बुढ़िया बड़ी खुश हुई और उसने मन ही मन कहा- ओह मेरा खेत तो खुद गया। अब इसमें क्या बीज बोऊँ?
अगले दिन एक लंगड़ी चिड़िया आँगन में बैठी थी। लोग बोले-‘‘हम इसे मार कर खायेंगे।’’
बुढ़िया ने सोचा-‘‘मेरे पति ने कहा था। दूसरों का भला करना। ये रूपये किसी अच्छे काम में लगाना। किसी की जान बचाने से अच्छा काम क्या होगा?’’ यह सोचकर बुढ़िया ने रूपये देकर चिड़िया की जान बाई। चिड़िया न उड़ सकी थी न खा पी सकती थी। बुढ़िया ने उसे रोटी खिलाई पानी पिलाया और उसकी टाँग पर दवाई लगायी चिड़िया ठीक हो गयी और बुढ़िया की छत पर रहने लगी।
कुछ दिन बाद नटखट लड़कों ने एक मोर को पकड़ लिया। कोई उसके पंख उखाड़ता। कोई उसे अपने घर ले जाने के लिए खींचता। बुढ़िया ने लड़कों से कहा- तुम इस मोर को छोड़ दो तो मैं तुम्हें पेट भर बरफी खिलाऊँगी। लड़के मान गये। बुढ़िया ने उन्हें पेट भर बरफी खिलाई। मोर कभी बुढ़िया के घर में और कभी खेत में रहने लगा।
एक दिन एक बकरी अपने झुण्ड के पीछे रह गयी। बुढ़िया ने उसे दुखी देखकर अपने पास रख लिया।
अब खेती के दिन आये तो बुढ़िया ने सोचा मैं खेती करूँगी। पर उसके खेत को खोदे कौन? इसी चिंता में बुढ़िया खेत पर गयी। वहाँ उसने देखा कि सुअर ने घास की जड़े खाने के लिए सारा खेत खोद दिया है।
बुढ़िया बहुत खुश हुई। अब वह सोचने लगी इसमें क्या बीज बोऊँ? मुझे अच्छे बीज कौन लाकर दें। अभी यह बात सोच ही रही थी कि चिड़िया ने उसकी झोली मेें एक बीज फेंका। यह तरबूज का बीज था। बुढ़िया ने वहीं तरबूज का बीज खेत में बो दिया।
बुढ़िया ने सोचा अब खेत में पानी कौन दे। तब खेत में मोर खूब नाचा। उसका नाच देखकर बादल खुश हुआ और छम-छम पानी बरसा। इस तरह बुढ़िया के सारे काम ठीक हो गये।
सुअर ने खेत खोदा। चिड़िया बीज लायी। बकरी ने में गनी की खाद दी, मोर ने बादल से पानी बरसाया।
तरबूज की बेल इतनी फैली की सारे खेत में फैल गयी। उस पर ऐसी मीठे तरबूज लगे कि पांच-पांच रूपये में एक-एक बिका। तरबूज की कमाई से बुढ़िया का घर भर गया।
सब गाँव वाले कहने लगे यह बेल नहीं फली। बुढ़िया का परोपकार फला है।
बुढ़िया बहुत खुश थी। उसकी खुशी के तीन कारण थे। दुःख के बाद सुख मिलने से और गरीबी के बाद धन मिलने से कौन प्रसन्न नहीं होता? अतः बुढ़िया की खुशी का एक कारण धन था। उसकी खुशी का दूसरा कारण यह था कि उसने किसी बुरे ढंग से रूपया नहीं कमाया, अपितु उसने बहुतों का भला करके यह वरदान पाया है। उसे तीसरी खुशी यह थी कि उसकी कहानी सुनकर गांव के लोगों की परोपकार करने की प्रेरणा मिली थी। गाँव के लोगों ने प्रतिज्ञा की कि वे भी अपने जीवन में जितना अधिक परोपकार हो सकेगा, उतना करेंगे।
कहानी से शिक्षा
- हमें दूसरों का हमेशा भला करना चाहिए।
- हममें परोपकार की भावना होनी चाहिए। ताकि यह जीवन किसी दूसरे के भी काम आ सके।
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