शुक्रवार, 18 जून 2021

Akbar Birbal Stories in Hindi | अकबर बीरबल की कहानियां हिंदी में


Akbar Birbal Stories in Hindi | अकबर बीरबल की कहानियां हिंदी में
Akbar Birbal Stories in Hindi | अकबर बीरबल की कहानियां हिंदी में

अकबर बीरबल से विभिन्न प्रकार के किस्से और कहानियाँ जुड़ी हुई है। इस पोस्ट के माध्यम से अकबर बीरबल की कुछ प्रमुख किस्से-कहानियाँ प्रस्तुत करना चाहता हूँ  जिसे पढ़कर आपको मनोरंजन अवश्यक होगा। अकबर बीरबल की कितनी सच्ची हैं और कितनी काल्पनिक कहानियां है इसकी कल्पना करना संभव नहीं है लेकिन यह बात तो सत्य है इस प्रकार की कहानियों को पढ़कर जो प्रेरणा और शिक्षा मिलती है, इनकार नहीं किया जा सकता है। आइये पढ़ते है और कुछ नया सीखते है।


Akbar Birbal Stories in Hindi | अकबर बीरबल की कहानियां हिंदी में
Akbar Birbal Stories in Hindi | अकबर बीरबल की कहानियां हिंदी में

तंत्र-मंत्र

एक बार कुछ दरबारियों ने महाराजा अकबर से कहा महाराज, आजकल बीरबल को ज्योतिष का शौक चढ़ा है। कहता फिरता हैं, मत्रों से मैं कुछ भी कर सकता हूँ।

तभी दूसरे दरबारी ने कान भरे- हाँ महाराज, वह बहुत शेखी बघारता फिरता है। हम तो परेशान हो गए उससे। दरबार के काम में जरा भी रूचि नहीं लेता।

राजा बोले-अच्छा, परखकर देखते हैं, बीरबल के मंत्रों में क्या दम खम है? यह कहते हुए राजा ने एक दरबारी से कहा- तुम अंगूठी छुपा लो। आज इसी के बारे में पूछेंगे

तभी बीरबल दरबार में आया। राजा को प्रणाम कर अपनी जगह जा बैठा।

अकबर बोले- बीरबल अभी- अभी मेरी अंगूठी कहीं गायब हो गई। जरा पता लगाओ। सुना हैं, तुम तंत्र-मंत्र से बहुत कुछ कर सकते हो।

बीरबल ने कनखियों से दरबारियोे की ओर देखा। वह समझ गया था कि उसके विरूद्ध राजा के कान डटकर भरे गए हैं। कुछ सोचकर उसने कागज पर आड़ी तिरछी रेखायंे खींचीं। फिर बोला-महाराज, आप इस पर हाथ रखें, अंगूठी जहां भी होगी, अपने आप अंगूली में आ जाएगी।

महाराज ने उस तंत्र पर हाथ रख दिया। तभी बीरबल चावल हाथ में लेकर दरबारियों की ओर फेंकने लगा। जिसके पास अंगूठी थीं, वह सोचने लगा-कहीं सचमुच अंगूठी निकलकर राजा के पास पहुंच न जाए। उसने कसकर जेब पर हाथ रख लिया।

बीरबल यह देख रहा था। बोला महाराज, अंगूठी तो मिल गई। लेकिन उस दरबारी ने कसकर पकड़ रखी हैं।

अकबर बीरबल का संकेत समझकर हँस पडे़, उन्होंने अंगूठी पुरूस्कार में बीरबल को दे दी। चुगली करने वालों के सिर शर्म से झुक गए।

रानी की बात

एक बार महाराज अकबर रानी के आगे बीरबल की चतुराई की प्रशंसा कर रहे थे। रानी बोली-महाराज, बीरबल कितना ही चतुर सही पर मुझसे अवश्य हार जाएगा। महाराज अकबर ने कहा ठीक है। परीक्षा कर लेते हैं। दूसरे दिन दरबार उठने के बाद बादशाह ने बीरबल को महल में बुलवाया लिया।

रानी के बीरबल के लिए सुगन्धित शर्बत और फल मिठाई लाने का आदेश दिया। दासी के जाते ही रानी गिनती गिनने लगी। एक से दस तक गिनकर बोली। अब शर्बत गिलास में तथा मिठाई और फल तश्तरी में रख लिए हैं। सचमुच दासी सब सामान लिए मौजूद थी। रानी बोली बीरबल देखो हमारा कितना नपा-तुला अन्दाज है। 

कल हम तुम्हारे यहाँ दावत खाने आएंगे बीरबल ने सोचा रानी स्वयं दावत पर आने को कह रही है। जरूर कुछ दाल में काला है। फिर वह सारी बात समझ गया। बादशाह ने रानी से कहा आप तो बीरबल की परीक्षा लेने के लिए कह रही थीं ली क्यों नहीं? रानी बोली कल बताऊँगी।

अगले दिन बादशाह और उनकी पत्नी बीरबल के घर पहुंचे। थोड़ी देर के बाद उसने सेवकों को खाना लगाने का आदेश दिया। रानी बोली- बीरबल क्या तुम हमारी तरह गिनकर बता सकते हो, खाना कितनी देर में आ जाएगा? वह बोला-रानी जी, आपके सामने मैं बोलना अच्छा नहीं समझता। आप गिनए, जब आप रूकंेगी तभी खाना हाजिर हो जाएगा। रानी के गिनती खत्म करते ही खाना आ गया। बादशाह बोले-रानी जी, बीरबल आपकी बात भांप गया। आप शर्त हार गई। तभी बीरबल बोला- जीत रानी जी की हुई है खाना तो इन्हीं के गिनने से आया। यह सुन, रानी ने कहा- बीरबल, तुम सचमुच दरबार के रत्न हो। हमें हराया भी तो जिताकार।

Akbar Birbal Stories in Hindi.

जग-जग

बादशाह अकबर ने भरी सभा में घोषण की इस बार मुहर्रम पर सभी दरबारी अपने महलों को अच्छी तरह सजाएं। जिसके महल में सबसे अच्छी रोशनी होगी, उसे पुरस्कार दिया जाएगा। मुहर्रम के दिन बादशाह घोड़े पर सवार होकर बीरबल के साथ दरबारियों के महलों की रोशनी देखने निकले। सभी के महल जग-मग कर रहे थे। बीरबल के महल के आगे राजा रूक गये। बोले बस, दो चार दीपक! तुमने हमारी आज्ञा का पालन नहीं किया है।

बादशाह को लेकर नगर में बाहर गरीबी की बस्ती में गया। वहां झोपड़िया प्रकाश से दमदमा रही थी। बीरबल बादशाह अकबर से बोला- बादशाह, देखिए आपकी आज्ञा का मैंने सही पालन किया है। इन्हें ही रोशनी की सबसे ज्यादा जरुरत है। बादशाह ने मुस्करा कर पुरस्कार की राशि गरीबों में बांट दी।

तिनके का सहारा

गर्मी के दिन थे। बादशाह अकबर दरबारियों के साथ नौका बिहार के लिए गए। नौका नदी के बीच में पहुंची, तो राजा को विनोद सूझा। एक तिनका दिखाकर बोले जो इस तिनके के सहारे नदी पार करेगा, उसे मैं एक दिन के लिए विजयनगर का बादशाह बना दूंगा। दरबारी एक दूसरे का मुँह देखने लगे। बीरबल बोला- यह काम मैं कर सकता हूँ। मगर बादशाह बनने के बाद।

बादशाह अकबर बोले ठीक है आज के लिए मैं तुम्हें बादशाह बनाता हूँ। इस तिनके को तुम राजदण्ड समझो। अब इसी के सहारे नदी पार करके दिखाओ। वरना मृत्यु दण्ड मिलेगा।

कहकर उन्होंने हाथ का तिनका बीरबल को दे दिया। बीरबल तिनका लेकर नदी में कूदने से पहले उसने अंगरक्षकों से कहा इस समय मैं राजा हूँ। तुम अपने कर्तव्य का पालन करो। सुनते ही अंगरक्षको ने उसे पकड़ लिया। बोले आप राजा है? इसलिए हम आपको जान जोखिम का काम नहीं करने देंगे। बीरबल ने समझाया, मगर वे नहीं माने। इतने में नौका दूसरे किनारे पर जा लगी। बादशाह अकबर बोले बीरबल तुम हार गये।

हार कहां गया जहांपनाह? बीरबल बोला- इस तिनके के सहारे ही तो मैंने नदी पार की। यह मेरे पास न होता तो अंगरक्षक कूदने से भला क्यों रोकते? तब मैं नदी में डूब जाता।

सुनते ही बादशाह अकबर हंसकर बोले बीरबल तुमसे जीतना मुश्किल है।

हजार जूते

अकबर बादशाह को ठट्ठेबाजी का बड़ा शौक था और दैवयोग से बीरबल भी बड़ा ठटठेबाज था। एक बार बादशाह ने हंसी-हंसी में बीरबल के जूते चुरा लिये। चलते समय बीरबल जूता ढूंढने लगा। जब न मिले तो अकबर ने सेवक से कहा कि अच्छा हमारी ओर से इनको जूता दे दो। सुनकर नौकर बीरबल ने जूता पहिनकर आशीर्वाद दिया कि परमेश्वर आपको इस लोक और परलोक में ऐसे हजार जूते दें। सुनते ही अकबर खिलखिला कर हंस पड़े।

और क्या? कढ़ी

एक दिन बीरबल को अपने किसी सम्बन्धी के यहां निमंत्रण में जाना था जिससे वह दरबार खत्म होने से पहले बादशाह से अवकाश लेकर विदा हुए।

दूसरे दिन जब बीरबल आये तो बादशाह ने निमंत्रण के भोजन के बारे में पूछना शुरू किया कैसा खाना बना था, क्या क्या था? आदि। बीरबल ने कई पकवानों के नाम बतला दिये तथा आगे कुछ बतला रहे थे कि बादशाह ने उन्हें किसी दूसरे प्रश्न में उलझा दिया जिनसे उनका कहना भी बन्द हो गया। इस घटना को हफ्तों गुजर गये।

एक दिन बादशाह दरबारियों के साथ दरबार में बैठे थे। अन्य दरबारियों के साथ बीरबल भी था। आज बादशाह को स्मरण आया कि बीरबल ने उस दिन कहते-कहते अधूरे में ही भोजन की सामग्री का वर्णन छोड़ दिया और उन्हें आज बीरबल की स्मरण शक्ति की परीक्षा लेने की सूझी। वे बोले बीरबल! और क्या?

बीरबल समझ गये कि उस दिन भोजन की सामग्री का नाम बतलाते-बतलाते मैं किसी अन्य काम में लग गया था और यह बात अधुरी रह गई थी।

बादशाह उसी को पूरी करने की गरज से पूछे रहे थे। बीरबल ने तत्काल ही उत्तर दिया, और क्या? कढ़ी! उस बीरबल की इस गजब की स्मरण शक्ति से बादशाह बहुत ही खुश हुए और अपने गले से मोती की माला उतार कर बीरबल को दे दी।

उपस्थित मण्डली यह न समझ सकी कि किस रहस्यमयी बात के ऊपर मोती की माला मिली। उन लोगों ने विचार किया कि बादशाह को कढ़ी बड़ी प्रिय है। इसलिए बीरबल को मोती की माला मिली है। अन्य दरबारियों का भी जी ललचाया। मोती की माला पाने की सबों में इच्छा हुई।

दूसरे दिन बढ़िया बढ़िया कढ़ी अपने यहां लोगों ने तैयार करवायी। जितना अच्छा तरीका वे जानते थे उसमें किसी किस्म की कमी बनाने में नहीं की गई। जब दरबार का समय हुआ तो नौकर तो कढ़ी देकर सब साथ चले।

बादशाह के सामने लेे जाकर सभी ने अपनी-अपनी कढ़ी की हांडी रखी बादशाह की समझ में पहले न आया।

उन्होंने सभासदों से पूछा कि इसमें क्या है? और किसलिए लाये हैं। सब दरबारियों ने हाथ जोड़कर निवेदन किया कि जहांपनाह आपने कल इसी शब्द के कहने पर बीरबल को खुश होकर मोती की माला दे दी थी। हम लोगों ने समझा कि हुजूर को कढ़ी बहुत पसन्द है जिससे आज हम कढ़ी ही सेवा में भेंट करने के लिए लाये हैं।

दरबारियों की मूर्खता पर बादशाह तिलमिला उठे, आवेश में आकर बुरा भला कहकर सबको जेल में बन्द कर देने को हुक्म दिया तथा बोले कि तुम लोग नकल करना जानते हो दूसरे को फूलते नहीं देख सकते जाओ इसका यही दण्ड हैं।

दरबारियों ने देखा कि हाथ जल रहे है तो सबने क्षमा प्रार्थना की तब बादशाह ने उनकों दण्ड मुक्त कर दिया और बोले, आज से प्रतिज्ञा करो कि बिना समझे बूझे किसी की नकल नहीं करोगे। सभासदों ने ऐसा ही किया।

अधर महल

एक दिन दरबार के कामकाजों से निवृत्त होकर बादशाह बीरबल के साथ गप्प कर रहे थे। उसी दरमियान उसको एक अधर महल बनवाने की इच्छा हुई। इस अभिप्राय से प्रेरित होकर बोले बीरबल क्या तुम मेरे लिए एक अधर महल बनवा सकते हो? बनवा देना तुम्हारा काम है, और रूपया खर्च करना मेरा काम। बीरबल ने सोच विचार कर उत्तर दिया- पृथ्वी नाथ! थोड़ा ठहर कर महल बनवाने का कार्यारम्भ करूंगा। इस कार्य के लिए कुछ मुख्य-मुख्य सामानों का संग्रह करना पड़ेगा। बादशाह इस पर राजी हो गए।

तब बीरबल ने एक दूसरी बात छेड़कर बादशाह का मन दूसरे कामों में उलझाकर सांयकाल का अवकाश पाकर घर लौट गया। दूसरे ही दिन बहेलियों को रूपये देकर जंगल से तोतों को पकड़ लाने की आज्ञा दे दी। हुक्म की देर थी कि बहेलिये उसी दिन सैकड़ों तोते पकड़ लाये। बीरबल ने चुनकर कुछ तोतों को खरीद लिया और उनकी पढ़ाई का काम अपनी बुद्धिमति कन्या को सौंपकर, वह दरबार का आवश्यक कार्य करने लगा। 

लड़की ने पिता के आदेशानुसार तोतों को पढ़ाकर पक्का कर दिया। जब बीरबल ने उनकी परीक्षा ली तो वे उसकी मर्जी के माफिक निकले। फिर क्या था, वह तोतों को लिए हुए दरबार में हाजिर हुआ। तोतों को दीवाने खास में बन्द कर बीरबल बादशाह के पास गया। तोते पिंजड़े से बाहर निकालकर छोड़ दिए गए थे। सब तरफ से किवाड़ बन्द थे। शिक्षा के अनुसार तोते भीतर ही भीतर राग अलाप रहे थे।

बादशाह को सलाम कर बीरबल बोला-पृथ्वीनाथ आपकी मर्जी के मुनासिफ अधर महल में काम लगवा दिया है। इस समय उसमें बहुत पेशराज और मिस्त्री काम कर रहे हैं। आप चलकर मुआयना कर लें। बादशाह महल देखने की इच्छा से बीरबल के साथ चले। जब बीरबल दीवानखाने के पास पहुंचा तो उसका किवाड़ खुलवा दिया। 

तोेते बाहर आकाश मंें उड़ते हुए बोलने लगें ईंट लाओ, चूना लाओ, किवाड़ लाओं चैखट तैयार करो, दीवार चुनो, इस प्रकार तोतों ने आकाश में उड़ते हुए बोलने लगे ईंट लाओ, चूना लाओ, इस प्रकार तोतों ने आकाश में खूब शोर मचाया। तब बादशाह ने बीरबल से पूछा- क्यों बीरबल यह तोते क्या कर रहें है? बीरबल ने अदब के साथ उत्तर दिया महाराज! 

आपका अधर महल तैयार हो रहा है। उसमें पेशराज और बढ़ई लोग लगे हुए है। सब सामान एकत्रित हो जाने पर महल बनना शुरू हो जाएगा। बीरबल की इस बुद्धि पर बादशाह हर्षित हुआ और उसको बहुत सा धन देकर विदा किया।

अन्धकार

एक दिन बादशाह के साथ बीरबल यमुना किनारे हवा के सेवन करने निकले। रास्ते में इन्हें एक जरूरी बात ध्यान में आई तब बोले-बीरबल संसार में ऐसी कौन सी चीज है जिससे हम देख सकते है, लेकिन चन्द्रमा की नजर उस पर नहीं पड़ती? तब बीरबल बोला- यह चीज अन्धकार है।

दो गधों का बोझ

एक बार बादशाह अकबर उनका पुत्र शहजादा और बीरबल सैर कर रहे थे। गर्मी कुछ ज्यादा थी इसलिए अकबर ने अपना कोट उतारा और बीरबल के कन्धें पर रख दिया। यह देखकर शहजादे से भी न रहा गया। उसने भी अपना कोट उतारा और बीरबल के कन्धे पर रख दिया। यह देखकर अकबर को मजाक सूझी और बोले- बीरबल तुम्हारे कन्धों पर तो पूरे एक गधे का बोझ लदा हुआ है।

बीरबल-‘जी नहीं, आप गलत बोले हैं एक नहीं दो गधों का बोझ लदा हुआ है।’

सगति का असर

बादशाह और बीरबल की आपस मे बाते हो रही थी कि अचानक बीरबल के मुंह से कोई अपशब्द निकल पड़ा। बादशाह को बड़ा बुरा मालुम हुआ। वे बोले तुम्हें बोलने की तमीज अब नहीं रही दिनोंदिन बदतमीज होते जा रहे हो।

बीरबल बोले हां जहांपनाह? पहले तो ऐसा नहीं था लेकिन अब संगति से दोष आना स्वाभाविक ही है। बादशाह निरूत्तर हो गये।

लोटा न था

एक बार बादशाह ने बीरबल से पूछा- ब्राम्हण प्यासा क्यों और गधा उदास क्यों, बीरबल ने जल्दी से उत्तर दिया लोटा न था। अर्थात् ब्राम्हण के पास लौटा न होने से प्यासा रहा और गधा न लौटने से उदास रहा। बादशाह दो प्रश्नों का एक ही जवाब सुनकर बहुत खुश हुआ।

रखपत रखापत

एक रोज बादशाह के दरबार में यह बात हो रही थी कि पत पांच हैं। इन्द्रपत,  सोनीपत, पानीपत, बागपत और बलपत। बीरबल ने कहा हुजूर दो पत और हैं एक रखपत और दूसरा रखापत।

बादशाह ने दोनों का मतलब पूछा-उन्होंने उत्तर दिया इन्हीं पत से शराफत की पहचान है। अपनी इज्जत रखना पराये की इज्जत से हो सकता है। 

बादशाह यह मतलब समझकर खुश हुए।

गधे तम्बाकू नही खाते

बीरबल तम्बाकू खाता था लेकिन अकबर नहीं खाते था एक दिन अकबर ने तम्बाकू के खेत में गधे को घास खाते देखकर कहा बीरबल ये देखा तम्बाकू कैसी बुरी चीज है। गधे तक इसको नहीं खाते है।

बीरबल ने कहा हाँ हुजूर सच है गधे, तम्बाकू नहीं खाते बादशाह शर्मिन्दा हुए।

चार मूर्ख

एक दिन मनोरंजन के समय बादशाह के मन में एक बात आई संसार में मूर्खों की संख्या सौ से अधिक है परन्तु मैं चार मूर्ख देखना चाहता हूँ जिनकी जोड़ के दूसरे मूर्ख न हो बादशाह ने बीरबल से कहा इस ढंग के चार मूर्ख तलाश करो कि जिनकी जोड़ के दूसरे न मिलें बीरबल ने कहा जो आज्ञा हुजूर।

ढूंढूने वालों को क्या नहीं मिल सकता केवल सच्ची लगन होनी चाहिए। कुछ दूर जाने के बाद बीरबल को एक आदमी दिखाई पड़ा जो थालों में पान का एक जोड़ा बीड़ा और मिठाई लिए उत्साह से नगर तरफ जल्दी-जल्दी भागा जा रहा था।

बीरबल ने उस आदमी से पूछा क्यों साहब यह सामान कहां लिए जा रहे हो जो आपका पैर खुशी के मारे जमीन पर नहीं पड़ रहा है?

आपके मन को जानने की मुझे बड़ी इच्छा है। अतएव थोड़ा कष्ट कर बतलाते जाइए।

उस आदमी ने बीरबल को टालने की कोशिश की क्योकि वह अपने नियत स्थान पर जल्दी पहुंचना चाहता था।

परन्तु बीरबल ने बार-बार उसे बताने का आग्रह किया तब वह व्यक्ति बोला यद्यपि मुझे विलम्ब हो रहा है। परन्तु आपके इतना आग्रह करने पर बता देना भी जरूरी है।

मेरी औरत ने एक दूसरा खसम कर लिया है उसके बुलावे पर उसके न्योंते में जा रहा हूँ।

बीरबल ने उस आदमी को अपना परिचय देकर रोक लिया और कहा तुम्हें बादशाह के पास चलना होगा तब ही तुम आगे जा सकोगे वह बादशाह का नाम सुनकर डर गया तथा लाचार होकर बीरबल के साथ हो लिया।

वह इसको लेकर आगे बढ़ा दैवयोग से रास्ते में एक घोड़ी सवार मिला वह आप तो घोड़ी पर सवार था पर सिर पर एक बड़ा गट्ठर रखा हुआ था।

बीरबल ने उस आदमी से पूछा क्यों भाई यह क्या मामला है। आप अपने सिर का बोझ घोड़ी पर लादकर क्यों नहीं ले जाते?

उस आदमी ने उत्तर दिया मेरी यह घोड़ी गर्भिणी है। ऐसी दशा में उस पर इतना बोझ नहीं लादा जा सकता है।

यह मुझे ले जा रही है, यही क्या कम है। बीरबल ने डरा धमका कर इस घोड़ी सवार को भी अपने साथ ले लिया।

अब बीरबल दोनों व्यक्तियों सहित बादशाह के पास पहुंचा। बीरबल ने कहा-ये चारों मूर्ख आपके सामने हैं।

बादशाह तो दो को ही देख रहा था अतः बोला तीसरा तथा चैथा मूर्ख कहां है?

बीरबल ने कहा तीसरा नं0 हुजूर का है जिन्हें आपको ऐसे मूर्खों को देखने की इच्छा हुई है। चैथा मूर्ख मैं हूं जो इन्हें ढूंढ कर लाया हूँ।

बादशाह को बीरबल के ऐसे सही उत्तर से बड़ी प्रसन्नता हुई जब उन्हें उन दोनों की मूर्खता का परिचय मिला तो खिल-खिला कर हंस पड़े।

बकरे का दूध

एक दफा बादशाह ने बीरबल से कहा कि बीरबल हमारी बेगम को कुछ दिन से बराबर सिर में दर्द रहता है और किसी ओझा ने इसकी दवा बनाने के लिए बकरे का दूध मांगा है। अतः हमें कहीं से भी बकरे का दूध मंगवाकर दो। बीरबल समझ गया कि ओझा ने बादशाह को मूर्ख बनाया है।

घर जाकर अपनी लड़की को समझाया और वह फौरन ही रात्रि के समय बादशाह के महल के पास यमुना में कपड़ें धोने लगी बादशाह की नींद में विघ्न पड़ा तो बादशाह ने फौरन ही उसे बुलाकर पूछा कि तू कौन है और रात के समय कपड़े क्यों धो रही है।

लड़की ने कहा हुजूर मैं बीरबल की लड़की हूँ। अभी शाम को ही बीरबल के पेट से बच्चा पैदा हुआ है, मैं उन्हीं के कपड़ें धो रही हूँ।

बादशाह ने कहा- लड़की? क्या तू पागल तो नहीं है कभी मर्द के पेट में बच्चा हुआ है।

लड़की ने कहा- तो हुजूर कहीं बकरे के भी दूध होता है?

लड़की की बात सुनते ही बादशाह सब समझ गए और उसे इनाम देकर घर भिजवा दिया।

अक्ल की दाद

एक दिन बादशाह अकबर ने कागज पर पेंसिल से एक लम्बी लकीर खींची और बीरबल को बुलाकर कहा- बीरबल न तो यह लकीर घटाई जाये, और न ही मिटाई जाये लेकिन छोटी हो जाये? 

बीरबल ने उस लकीर के नीचे एक दूसरी लकीर पेेंसिल से बड़ी खींच दी। यह देखिए जहांपनाह! बीरबल बोले- अब आपकी लकीर इससे छोटी हो गई। बादशाह यह देखकर बहुत खुश हुए और मन ही मन में उसकी अक्ल की दाद देने लगे।

हर वक्त कौन चलता है।

एक दिन बादशाह ने दरबारियों से पूछा की हर समय कौन चलता हैं? उत्तर में किसी ने सूर्य किसी ने पृथ्वी तथा इसी तरह किसी ने चन्द्रमा आदि को बतलाया।

बादशाह ने तब यह प्रश्न बीरबल से कहा तो उन्होंने उत्तर दिया कि आलीजहां, महाजन का ब्याज (सूद) हर समय चलता है। इसे कभी थकावट नहीं मालूम होती। दिन दुगना रात चैगनी वेग से चलता रहता है।

जो कहा सो कहा

एक दिन अकबर बादशाह अपनी बेगम के साथ बैठे आम खा रहे थे। बादशाह खा-खाकर उनकी गुठलियों और छिलके अपनी बेगम के आगे इकट्ठे करते जा रहे थे।

अचानक बीरबल भी वहाँ पहुँच गये।

बादशाह उन्हें देखकर मुस्कराये और बोले देखो बीरबल यह बेगम कितनी पेटू है। मैं अभी एक आम नहीं खा पाया, और इन्होंने कितने आम खा डाले।

बेगम (महारानी जोधाबाई) इस मजाक का उत्तर न दे पाई और लज्जा कर रह गई।

बड़ी शर्म के साथ उन्होंने बीरबल की ओर देखा।

बीरबल भी चुप न रहे और उन्होंने फौरन बादशाह को उत्तर दे डाला। 

जहांपनाह कुसूर माफ हो। बेगम साहिबा अधिक आम खाकर छिलके व गुठलियां तो छोड़ देती हैं पर हुजूर उन्हें भी नहीं छोड़ते। यह सुनकर बादशाह का मुँह बन्द हो गया और बेगम खुश हो उठी।

बीरबल की खिचड़ी

एक दफा बादशाह अकबर ने एक शर्त रखी थी कि कोई मनुष्य रातभर छाती तक पानी में खड़ा रहे तो उसे 5000 रूपये का नाम दिया जायेगा।

माघ के महीने की कड़ी सर्दी थी। कौन अपनी जान आफत में डालता। आखिर एक गरीब ब्राम्हण जिसे अपनी लड़की शादी करनी थी, तैयार हो गया।

रातभर बेचारा पानी में खड़ा रहा। सबेरे बादशाह ने उसे बुलाया और  पूछा कि तुम किसके आश्रय से पानी में खडे़ रहे? सीधे ब्राम्हण देवता ने उत्तर दिया कि जहांपनाह, मैं आपके किले की कंडील देखता रहा।

बादशाह ने कहा कि जरूर ही तुम्हें उसकी गर्मी लगी होगी जाओ इनाम नहीं मिलेगा।

बेचारा ब्राम्हण रोता हुआ बीरबल के पास गया और सारा हाल कह सुनाया।

बीरबल ने उसे ढाँढस दिया और उसको घर भेज दिया। कुछ दिन बाद बादशाह को शिकार करने की सूझी।

फिर क्या था सारी सेना तैयार हो गई। बादशाह ने बीरबल को बुलाया। जो नौकर उसे बुलाने गया था उसने लौटकर उत्तर दिया कि बीरबल खिचड़ी बना रहे हैं खाकर आयेंगे।

लेकिन घंटे भर बाद भी बीरबल न आये तब दूसरा नौकर भेजा उसने भी उत्तर दिया दो घंटे हो गये, पर बीरबल नहीं आए।

तीसरा नौकर भेजा उसने भी यहीं उत्तर दिया कि अभी खिचड़ी पक रही हैै। खाकर आयेंगे।

अब बादशाह को बड़ा क्रोध आया। वे स्वयं ही बीरबल के पास पहुँचे। और देखते है कि पांच गज लम्बी बल्ली पर खिचड़ी की हाण्डी रखी है और जरा सी आग जल रही है। बीरबल आराम से बैठे हुए हैं।

बादशाह ने आश्चर्य से पूछा बीरबल यह क्या तमाशा हो रहा है। बीरबल ने उत्तर दिया खिचड़ी पक रही है।

यह कैसी खिचड़ी? इतनी नीची आग से खिचड़ी की हाण्डी को कुछ भी गर्मीं नहीं लग सकती है। यह कैसे हो सकता है बादशाह ने बड़ी हैरत से पूछा।

उसी तरह जैसे कि बूढ़े ब्राम्हण को किले की कंडील से गर्मीं पहुँची। बीरबल ने उत्तर दिया।

यह सुनते ही बादशाह ने ब्राम्हण को बुलाकर 5 हजार रूपये दे दिये। बेचारा ब्राम्हण बीरबल को हजारों आशीर्वाद देता हुआ घर गया।

Akbar Birbal Stories in Hindi

बीरबल का नगर से निकाला जाना

किसी कारणवश बादशाह ने रूष्ट होकर बीरबल को नगर छोड़कर कहीं अन्य जगह जाने का आदेश दिया, आदेश पाकर बीरबल किसी दूर गांव में भेष बदलकर जीवन व्यतीत करने लगे।

ईश्वर की कृपा से उन्हें कहीं कष्ट नहीं होता था। बीरबल स्वाभिमानी पुरूष थे। बादशाह के बिना बुलाए कैसे आते।

एक दिन बादशाह को उनकी याद आई तो मिलने के लिए बादशाह उतावले हो उठे। लेकिन किसी को उनका पता ठिकाना भी तो मालूम न था।

हर जगह सैनिक पता लगाने दौड़ाए गये लेकिन कुछ पता न चल सका। बादशाह को इस मौके पर एक उपाय सूझा उन्होंने शहर में मुनादी कराके कहा जो कोई आधी धूप आधी छाया में होकर मेरे सामने आयेगा उसे एक हजार रूपये इनमा के रूप में दिये जायेंगे।

इसकी खबर सारे शहर तथा गांव में फैल गई सभी के मंुह में पानी भर आया लेकिन किसी को कुछ भी उपाय न सूझा। इस बात की खबर बीरबल के कानों में भी पहुंच गयी।

उन्होंने अपने ही हाथों से बीच-बी मेें जगह छोड़कर एक खाट बुनी। इस खाट को एक पड़ोसी गरीब किसान को देकर कहा कि देखों इस खाट को अपने सिर पर रखकर बादशाह के सामने जाना और निवेदन करना कि आपके सामने आधी धूप तथा आधी छाया में आया हूँ अतएवं पुरस्कार मुझे मिलना चाहिए।

बीरबल के कथनानुसार ही उस किसान ने खाट को सिर पर रखकर बादशाह के महल का रास्ता लिया तथा बादशाह के सामने उपस्थित होकर बीरबल द्वारा बतलाये गये निवेदन को कह सुनाया।

बादशाह समझ गये कि यह किसान के दिमाग की उपज नहीं है और किसान से बोले तुम सच-सच बताओ यह उपाय तुमको किसने बताया। किसान ने सारा हालचाल सच वर्णन कर दिया कि एक बीरबल नामी ब्राम्हण ने, जो कुछ दिनों से हमारे गांव में आकर रह रहा है। मुझे ऐसा करने की अनुमति दी हैं।

बादशाह उस गरीब किसान पर बीरबल का पता लग जाने से बहुत खुश हुए। एक हजार रूपये उस किसान को दिलाए गए तथा दो कर्मचारी भी उसके साथ भेज दिए गए जो बीरबल को आदरपूर्वक नगर ले जाए।

इस तरह अपनी चतुरायी से बीरबल बादशाह का मनोरंजन करते थे।

बादशाही महाभारत

यह तो सभी जानते है कि बादशाह अकबर हमेशा बढ़ा बनने की कोशिश किया करते थे। एक बार बीरबल ने बादशाह को एक महाभारत की बड़ी पोथी भेंट की, उसे पकड़कर उनके मन में अपनी महाभारत बनवाने की धुन सवार हुई। 

बीरबल को यह काम सौंपा गया। बीरबल ने सोचा यह बादशाह को अकलमन्दी का सबक देने का अच्छा मौका है। इसलिए इस काम में बहुत सी कठिनाइयाँ बताई। साथ ही कार्यारम्भ के लिए 50 हजार रूपये की मांग की। बादशाह तो मतवाले हो रहे थे। झट से पचास हजार रूपये और दो महीने की छुट्टी मंजूर कर ली।

घर आकर रूपया तो बीरबल ने धर्म कामों और गरीबों में बाँट दिया और एक मन रद्दी मंगवाकर रख ली। बीरबल जब दरबार में आते तो बादशाह रोज पूछते। बीरबल कह देता हुजूर दस ब्राम्हण रोज लिख रहे हैं। बड़ा खर्चा हो रहा हैं। एक हजार रूपया दिला दो पांच ब्राम्हण और बढ़ा दूँ। बादशाह मंजूर कर लेते है।

इस तरह बीरबल रोज हजार दो हजार रूपया ले आते और गरीबों को बाँट देते। दस महीने के बाद उस रद्दी कागज की जिल्द बनवाकर दरबार में पहुँचे और बादशाह से कहा, हुजूर महाभारत लगभग तैयार है। केवल कुछ बातों पर आपसे और बेगम साहिबा से सलाह लेनी है।

बादशाह की अनुमति लेकर बीरबल बेगम साहिबा के पास पहुँचे। बीरबल को आए देखकर बेगम बड़ी खुश हुई बेगम ने बीरबल के आने का कारण पूछा। बीरबल ने हँसी दबाते हुए कहा बादशाह ने शाही महाभारत बनवाया है। वह करीब-करीब तैयार हो गया है। मैं अपने साथ लाया हूँ।

कुछ बातें उसमें रह गई जिनके बारे में आपसे सलाह लेना बाकी है आप जानती है। महाभारत में पाण्डवों की ओर से द्रोपदी थी और इस महाभारत की नायिका आप ही है। परन्तु जैसे हिन्दुओं के प्राचीन महाभारत में नायक पांच पांडव थे तो आपके पांच पतियों में बादशाह सलामत के अलावा चार कौन-कौन से हैं।

दूसरी बात यह है कि जैसे भरी सभा में दुशासन ने द्रोपदी का चीर हरण किया था और पांडव इस अपमान को सहन करते रहे थे। उसी तरह किस काफिर ने भरी सभा में आपकी इज्जत खराब की थी जिसे बादशाह सलामत चुपचाप सहन करते रहे हों।

बीरबल की बातें सुनते ही बेगम का पारा सातवें आसमान पर पहुँच चुका था। वह गुस्से से लाल थी। फौरन दासियों को हुक्म दिया कि इस महाभारत को आग लगा दो।

हुक्म की देर थी। महाभारत दो मिनट में जलकर राख बन गयी। बीरबल भी वापस आ गए और बनावटी दुख प्रकट करते हुए बादशाह को सारा हाल बताया।

हाल सुनकर बादशाह बड़े शरमाए और जिन्दगी भर फिर कभी शाही महाभारत बनवाने का नाम नहीं लिया।

मोम का शेर

पुराने समय में बादशाह एक दूसरे की बुद्धि की परीक्षा लिया करते थे। एक बार फारस के बादशाह ने अकबर को नीचा दिखाने के लिए एक शेर बनवाया और उसे एक पिंजड़े में बन्द करवा दिया।

इस पिंजड़े को उसने दूत के हाथों बादशाह अकबर के पास भेजा और कहलवा दिया कि यदि उनके दरबार मेें कोई बुद्धिमान पुरूष हो तो इस शेर को बिना पिंजड़ा खोले ही निकाल दे। साथ ही यह शर्त भी थी कि अगर इस प्रश्न का हल ना हुआ तो फारस के बादशाह का सारे राज्य पर अधिकार हो जाएगा।

अब तो बादशाह बड़े चिंतित हुए सारे दरबार में उन्होंने यह प्रश्न रखा। इस समय बीरबल वहां न थे। कोई भी दरबारी इस प्रश्न को हल नहीं कर सका।

बादशाह को बड़ी चिन्ता हुई कि शान भी मिट्टी में मिल जाएगी और राज्य भी हाथ से चला जायेगा।

उसी समय बीरबल आ  पहुँचा। बादशाह ने इनके सामने भी यह प्रश्न रखा पहले तो बीरबल ने अच्छी तरह शेर का देखा फिर एक गर्म लोहे की छड़ से उन्होंने थोड़ी देर में सारे शेर को पिजड़ें से गायब कर दिया। कारण यह था कि शेर मोम का था जो धातु का मालूम होता था।

इस बात को बीरबल ने पहचान लिया। फारस का राजदूत इसकी बुद्धिमता को देखकर दंग रह गया और बादशाह भी बड़े प्रसन्न हुए।

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