Chidiya Ka Aavaaj Moral Stories in Hindi चिड़िया का आवाज Hindi kahani |
चिड़िया का आवाज
बहुत वर्ष पहले अवध के एक छोटे से राज्य में एक प्रतापी राजा राज्य करता था। वह प्रजा में अत्यन्त लोकप्रिय था। उसे प्रकृति से बहुत प्रेम था। उसका बगीचा बहुत सुन्दर था। दूर-दूर से वृक्ष मंगाकर उसने अपने उपवन को नंदन वन सा बना रखा था। उसके बाग में एक बबूल का वृक्ष था। इधर कुछ दिनों से उस पर एक नन्हीं चिड़िया आकर बैठती थी। रात के प्रथम प्रहर से अंतिम प्रहर तक वह कुछ पंक्तियों को बार-बार दोहराती थी। राजा पक्षियों की बोली समझता था। रात के प्रथम प्रहर में चिड़िया कहती-‘‘अरे किस मुख में दूध डालूँ। अरे, आकर मुझे कोई बताए न?’’
Moral Stories in Hindi
रात के दूसरे प्रहर में वह बार-बार कहती-‘इस जैसा कहीं नहीं देखा।’ रात के तीसरे प्रहर में दुखी और उदास स्वर में कहती-‘अब हम क्या करें? बताओ न हम क्या करें?’
राजा हर रात चिड़िया की बातें सुन-सुनकर चिन्ताग्रस्त हो गया। वह हर पल उन बातों का अर्थ निकालने का प्रयास करता। एक नन्हीं सी चिड़िया ने उसके मन की शांति छीन ली थी। एक दिन उसने अपने कुल पुरोहित को बुलवाया जो कि अत्यधिक विद्वान थे। राजा ने उन्हें उस नन्हीं चिड़िया के सारे वाक्य सुनाएं। कहा कि वह उनका अर्थ समझाएँ। पुरोहित जी भी चकित रह गए। उन्होंने महाराज से चैबीस घंटे का समय माँगा और घर चले आए।
कर भला तो हो भला
पुरोहित जी को उदास मुँह लौटते हुए देखकर उनकी पत्नी चिंतित हो उठीं। वह तो जब भी राजमहल से लौटते, बड़ी उमंग और उत्साह में होते थे। राजा की इन पर विशेष कृपा थी। उनके पास महल, दास-दासियाँ, हीरे जवाहरात, सभी कुछ तो था। पत्नी ने उनसे पूछा-‘‘ क्या बात है? आज आप उदास क्यो हैं? राजमहल में सब आनन्द से तो हैं न?’’
Short Moral Story in Hindi
‘‘विपत्ति आने वाली है। महल, वैभव, धन-सम्पत्ति सब कुछ छिन जाएगा, मैं राजा के प्रश्नों का उत्तर न दे सकूँगा।’’-पुराहित जी ने परेशान हो कहा।
‘‘ऐसे कौन से प्रश्न है जिनका उत्तर देने में आप असमर्थ हैं। मुझे भी बताएं। शायद मैं कोई हल खोज सकूँ।’’ - पुरोहित की पत्नी शांति ने कहा।
पुरोहित जी ने विस्तार से सब कुछ बताया। उस नन्हीं चिड़िया की बातों का क्या अर्थ निकलता है, यह कोई भी नहीं जान पा रहा है। शांति ने उन्हें आश्वासन दिया -‘‘महाराज से कहिएगा कि कल राजसभा में उन प्रश्नों का उत्तर मेरी पत्नी देंगी। महाराज बिलकुल चिन्ता न करें।’’
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दूसरे दिन पुरोहित जी ने महाराज को अपनी पत्नी का संदेश दिया। राजा ने शांति को बुलाने के लिए पालकी भेजी। राज दरबार में रात के समय एक विशेष सभा का आयोजन किया गया। एक पर्दे की आड़ में पुरोहित जी की पत्नी के बैठने की व्यवस्था की गयी।
रात के प्रथम प्रहर में चिड़िया ने कहना प्रारम्भ किया -‘‘किस मुख में दूध डालूँ?’’ महाराज ने इसका अर्थ पूछा तो शांति ने कहा- ‘‘महाराज, यह चिड़िया आधी बात ही कहती है। पूरी बात यह है कि रावण के दस सिर थे। उसकी माँ जब अपने पुत्र के दस सिर देखती तो चिंता में पड़ जाती। कहती-‘कौन से मुख में दूध डालूँ?’ राजा पुरोहित जी की पत्नी शांति की बात सुनकर अत्यन्त प्रसन्न हुआ। उत्तर ठीक था।
दो देवियाँ
अब रात के दूसरे प्रहर में चिड़िया ने फिर बोलना शुरू किया- ‘ऐसा कहीं नहीं देखा।’ शांति ने बताया-‘‘यह चिड़िया सभी दिशाओं में भ्रमण करती है। बहुत से स्थानों पर यह घूमकर आई है लेकिन इसका कहना है कि सम्पूर्ण विश्व में एक जम्बद्वीप ही ऐसा है, जहाँ समृद्धि, सुख और शांति है। यहाँ मनुष्य को किसी प्रकार की चिन्ता नहीं सताती। ऐसा इसने कहीं नहीं देखा।’’ राजा को शांति की दूसरी बात पर भी विश्वास हो गया।
तीसरे प्रहर में चिड़िया ने कहा-‘‘अब हम क्या करें?’’ यह सुन शांति बोली-‘‘महाराज, हमारे यहाँ छोटी उम्र की लड़कियों का विवाह बड़ी उम्र के आदमियों से कर दिया जाता है। ऐसे विवाहों को देखकर ही यह चिड़िया कहती है-‘अब हम क्या करें।’’
यह सुन, राजा स्तब्ध रह गया। सचमुच बहुत से परिवारों में ऐसा ही होता है। राजा शांति के अद्भुत ज्ञान से बहुत प्रभावित हुआ।
राजसभा में भी सब उसकी प्रशंसा कर रहे थे। रात बीत चुकी थी। राजा को उस बुद्धिमान चिड़िया के प्रश्नों का उत्तर चतुर पुरोहितानी द्वारा मिल गया था। वह उससे अत्यंत प्रभावित था। अथाह धन दौलत ओर सम्मान के साथ उसने पुरोहित और उसकी पत्नी शांति को विदा किया।
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